अस्पृशता हा हिंदू धर्मावरील कलंक नसून, तो आमच्या नरदेहावरील कलंक आहे. यासाठी, तो धुवून काढायचे पवित्र कार्य आमचे आम्हीच स्वीकारले आहे.
- डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर
| कभी हमारा अपना कोई धर्म था| उस धर्म कि धारा सुखी नाहि है| संतो ने उसे प्रवाहित रखा है. गुरु रविदास लिख गये है| धर्म के सार को| वे नया धर्म दे गये है| उस पर चलो|
- बाबू जगजीवन राम
Thursday, March 6, 2014
सभी चमार जातियों की मुक्ति एवं प्रगति का रास्ता है - ‘‘रविदासिया धर्म
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